इस समीकरण में छिपे हैं विनाश से लेकर सृजन के राज

 E=mc² का मतलब क्या होता है?


यह दुनिया का सबसे प्रसिद्ध समीकरण है। जो 1905 में अल्बर्ट आइंस्टीन के शोधपत्र में शामिल हुआ। यह उनके सापेक्षता के सिधांत के परिमाण स्वरुप निकला एक विचार था। इस समीकरण में E यानी ऊर्जा, M (द्रव्यमान) और c (प्रकाश की गति) के बीच संबंध स्थापित हुआ। इसका मतलब यह है कि छोटे से भार में भी बहोत मात्रा में ऊर्जा होती है। परमाणुओं के नाभिक जब आपस में टकराते है तो तब यही होता है। सूरज के भीतर के हिस्से में भी यही टक्कर होती है जिसे हम साइंस में फ्यूजन कहते है। वहा तापमान और प्रेशर इतना ज्यादा होता है कि हाइड्रोजन के नाभिक हीलियम से जा टकराता है। विकिरण (Radiation) के कारण सूरज हर सेकंड अपना 40 लाख टन भार खो देता है। हालांकि सूरज के कुल भार से देखे तो यह समुद्र से बाल्टी भर पानी निकालने जेसा है। क्योंकि छोटी सी मात्रा में भी विशाल ऊर्जा होती है, इसलिए वैज्ञानिक पृथ्वी पर भी सूरज जेसी प्रक्रिया यानी Nuclear Fusion से ऊर्जा पैदा करने के तरीके खोज रहे है। हालांकि ऐसा होने में बहोत समय लगेगा। Nuclear fission में भी ऊर्जा पैदा होती है इसका एक जाना माना उदाहरण है परमाणु बम विस्फोट के बाद जो कणं टूट के बिखरते हुए भागते है उनका भार मूल से कम होता है। 


परमाणु ऊर्जा संयंत्र में, परमाणु इन छोटे कणों में टूट जाते हैं। एक ग्राम के हजारवे हिस्से के टूटने से इतनी ऊर्जा पैदा होती है जितनी ऊर्जा Europe में 8 घर एक साल में खर्च करते हैं।
आइंस्टीन का फार्मूला यह भी दिखाता है कि ऊर्जा भी भार में तब्दील होती है, पार्टिकल accelerator यही करता है। Charged Atom या subatomic पार्टिकल तेजी से दौराये जाते हैं और उन्हें विशाल डिटेक्टर से टक्कराया जाता है। उस टक्कर से पैदा हुई ऊर्जा से पदार्थ या पार्टिकलस बनाये जाते हैं।


हमारा ब्रह्मांड इन्हीं नन्हें पार्टिकल से बना है। इसलिए आप कह सकते हैं कि आइंस्टीन के फार्मूला ने उन बुनियादी सिद्धांतो को खोजने में मदद की जिनसे हमारी दुनिया बनी है।

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