साल 1973 में अरब और इजराइल के बीच युद्ध हुआ, जिसके कारण सऊदी अरब ने अमेरिका, कनाडा, समेत कई पश्चिमी देशों और इजराइल का समर्थन करने वाले देशों को पेट्रोलियम की सप्लाई बंद कर दी। इससे दुनिया भर के तेल का संकट पैदा हो गया। यही वह समय था जब ब्राज़ील ने पेट्रोल और डीज़ल के स्थान पर इथेनॉल को ईंधन के रूप में उपयोग करने का निर्णय लिया।
आज ब्राजील तेल के मामले में पूरी तरह से आत्मनिर्भर देश बन गया है। तारीख़ 6 अक्टूबर 1973 की है। मिस्र और सीरिया ने इज़राइल पर हमला किया। इसके साथ ही इजराइल का अरब देशों के साथ दूसरी बार युद्ध शुरू हो गया। मिस्र सहित, जॉर्डन, इराक, कुवैत, सऊदी अरब, सीरिया, सूडान और अल्जीरिया जैसे 8 अरब देशों ने भी इज़राइल पर हमला किया। अमेरिका की मदद से इजराइल ने इन 8 देशों को सिर्फ 6 दिनों में युद्ध हारने पर विवश कर दिया। वे अमेरिका से नाराज़ थे और सऊदी अरब सहित इन अरब देशों ने अमेरिका, कनाडा और नीदरलैंड जैसे देशों को तेल निर्यात करना बंद कर दिया। 1973 में अरब देशों के इस फैसले से दुनिया की तेल का संकट पैदा हो गया। इसका असर ब्राजील पर भी पड़ा। 1975 में, ब्राज़ील ने खुद को तेल के मामले में आत्मनिर्भर बनाने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर अल्कोहल कार्यक्रम शुरू किया।
इथेनॉल और ब्राजील की ये कहानी हम इसलिए बता रहे हैं क्योंकि आज भारत ने 100 फीसदी इथेनॉल से चलने वाली टोयोटा इनोवा गाड़ी लॉन्च कर दी है। इथेनॉल ईंधन की एक खासियत यह है कि यह तेल के कुओं से नहीं, बल्कि किसानों के खेतों से आता है। इथेनॉल के कारण आने वाले समय में पेट्रोल की कीमत 14 रुपये प्रति लीटर तक जा सकती है।
भारत में इथेनॉल को लेकर सरकार की क्या प्लानिंग है?
2021-22 में भारत ने अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए 86% ईंधन का आयात किया था। इस निर्भरता को कम करने के लिए भारत सरकार ने E20 योजना शुरू की है। E20 योजना का अर्थ है 20% इथेनॉल + 80% पेट्रोल जिसे E20 फ्लेक्स ईंधन के रूप में जाना जाता है। इससे दूसरे देशों से कम तेल खरीदने की जरूरत पड़ेगी। इतना ही नहीं, सरकारी खजाने में सालाना हजारो करोड़ों रुपयों की बचत होगी। भारत सरकार 2025-26 तक E20 योजना को पूरे देश में सफलतापूर्वक लागू करना चाहती है। 11 जुलाई 2023 को पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा था कि E20 पेट्रोल फिलहाल 1,350 पेट्रोल पंपों पर उपलब्ध है, और 2025 तक यह पूरे देश में उपलब्ध होगा।
सप्लाई टारगेट ( बिलियन लीटर )
अनाज की जरूरत ( मिलियन मीट्रिक टन )
जमीन की जरूरत ( मिलियन हेक्टेयर )
गन्ना
5.5
275
3.3
मक्का
2.33
6.1
1.8
चावल
2.33
5.5
2.0
Total
10.16
...
7.1
नीति आयोग के डेटा के आधार पर यह माना गया है कि औसतन एक टन चावल से 425 लीटर एथेनॉल बनता है ।
इथेनॉल बनाने वाली फसले
देश में इथेनॉल मुख्यतः तीन फसलों चावल, गन्ना और मक्का के माध्यम से प्राप्त होती है। जलवायु परिवर्तन के कारण फसल की पैदावार पर पड़ने वाले असर और आधुनिक तकनीक के कारण इसकी पैदावार में बढ़ोतरी का आकलन करें तो इथेनॉल बनाने के लिए तीनों अनाजों को लेकर देश में यही स्थिति देखने को मिलती है।
इथेनॉल ब्लेंडिंग प्रोग्राम के तहत भारत सरकार ने पहले से ही इंजन निर्माताओं को E20 पेट्रोल के लिए इंजन बनाने के निर्देश दे रखे हैं। हालांकि इसे पुरानी गाड़ियों में भी इस्तेमाल किया जा सकता है, लेकिन इससे गाड़ी में माइलेज और पावर कम होने की संभावना रहेगी। हालांकि, पुरानी गाड़ी के इंजन में कुछ बदलाव किए जा सकते हैं। अगर गाड़ी बहुत पुरानी है तो उसे नई स्क्रैप पॉलिसी के तहत स्क्रैप करना होगा।
- इथेनॉल बनाने के लिए सबसे महत्वपूर्ण फसल गन्ना है। इस फसल का उत्पादन बढ़ाने की जरूरत है. इंडियन शुगर मिल एसोसिएशन का कहना है कि, 2020-21 में सिर्फ महाराष्ट्र के अंदर गन्ने के उत्पादन में 16 लाख टन की कमी आई है। अगर हमें इथेनॉल बनाने में बेहतर करना है तो इसे बढ़ाना होगा।
- देश में मक्के का उत्पादन इतना नहीं है कि इससे इथेनॉल बनाना संभव नहीं है।
- चावल की बात करें तो सरकार सबसे पहले इसका इस्तेमाल लोगों की भूख मिटाने के लिए करेगी। भारत सालाना 20 मिलियन मीट्रिक टन चावल विदेश भेजता है। यदि विदेशों में चावल का वार्षिक निर्यात 15 मिलियन मीट्रिक टन तक कम कर दिया जाए तो इससे 1.27 बिलियन लीटर इथेनॉल बनाया जा सकता है।
इथेनॉल के साथ मिश्रित E20 फ्लेक्स ईंधन का उपयोग किन वाहनों में किया जाएगा?
नए मॉडल की सभी गाड़ियों में इथेनॉल से बने पेट्रोल का इस्तेमाल किया जाएगा। इसका कारण यह है कि यहां बनने वाली ज्यादातर गाड़ियों में बीएस-4 से लेकर बीएस-6 स्टेज तक के इंजन होते हैं।इथेनॉल ब्लेंडिंग प्रोग्राम के तहत भारत सरकार ने पहले से ही इंजन निर्माताओं को E20 पेट्रोल के लिए इंजन बनाने के निर्देश दे रखे हैं। हालांकि इसे पुरानी गाड़ियों में भी इस्तेमाल किया जा सकता है, लेकिन इससे गाड़ी में माइलेज और पावर कम होने की संभावना रहेगी। हालांकि, पुरानी गाड़ी के इंजन में कुछ बदलाव किए जा सकते हैं। अगर गाड़ी बहुत पुरानी है तो उसे नई स्क्रैप पॉलिसी के तहत स्क्रैप करना होगा।
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