हमारे शास्त्रों में लिखा है की, मार्गशीर्ष मास का नाम श्रीकृष्ण से ही पड़ा है।
9 नवंबर से मार्गशीर्ष महीना शुरू होता है । कार्तिक के बाद ये दूसरा पवित्र महीना है । श्रीमद्भागवत के मुताबिक ये श्रीकृष्ण का पसंदीदा महीना है । इस महीने में भगवान विष्णु और श्रीकृष्ण की पूजा की जाती है।
साथ ही इस महीने में तीर्थ स्नान करने से पुण्य मिलता है और हर तरह के रोग , शोक और दोष दूर होते हैं । यह महीना 8 दिसंबर तक रहता है ।
अगहन को क्यो कहते हैं मार्गशीर्ष मास?
इस महीने का संबंध मृगशिरा नक्षत्र से है । ज्योतिष शास्त्र में 27 नक्षत्र बताए गए हैं । इन्हीं 27 नक्षत्रों में से एक है मृगशिरा नक्षत्र । इस महीने की पूर्णिमा को मृगशिरा नक्षत्र से जोड़ा जाता है। इसी कारण इस मास को मार्गशीर्ष मास कहा जाता है।
अगहन के महीने को मार्गशीर्ष कहने के पीछे कई कारण हैं। इनमें से पहला भगवान कृष्ण से जुड़ा है। श्री कृष्ण को कई नामों से पूजा जाता है। इन्हीं में से एक मार्गशीर्ष श्री कृष्ण का भी नाम है। इस महीने को मगसर, अघन या अग्रहायण के नाम से भी जाना जाता है। श्रीमद्भागवतम् के अनुसार श्रीकृष्ण ने कहा है की मासानां मार्गशीर्षोऽहम् अर्थात् सभी महिनों में मार्गशीर्ष श्रीकृष्ण का ही स्वरूप है । मार्गशीर्ष मास में श्रद्धा और भक्ति से प्राप्त पुण्य के बल पर हमें सभी सुखों की प्राप्ति होती है ।
ज्योतिषीय नजरिया
सतयुग में देवों ने मार्गशीर्ष से ही नया साल शुरू किया। सतयुग में देवों ने मार्गशीर्ष मास की प्रथम तिथि को ही वर्ष प्रारम्भ किया था । तब खगोलीय स्थिति अनुकूल हुआ करती थीं ।
मार्गशीर्ष मास में ही कश्यप ऋषि ने सुन्दर कश्मीर प्रदेश की रचना की थी । इसलिए आज भी इस पूरे महीने में भजन - कीर्तन चलता रहता है । इससे भगवान प्रसन्न होते हैं ।
महत्व : तीर्थ स्नान से मिलते हैं सुख
पुराणों के मुताबिक इस महीने कम से कम तीन दिन तक ब्रह्म मुहूर्त में किसी पवित्र नदी में स्नान करें तो उसे सभी सुख प्राप्त होते हैं । नहाने के बाद इष्ट देवताओं का ध्यान करना फिर विधिपूर्वक गायत्री मंत्र का जाप करें । स्त्रियों के लिए यह स्नान उनके पति की लंबी उम्र और अच्छा स्वास्थ्य के लिए उपयोगी होता है। शंख की पूजा का इस महीने में विशेष महत्व है । साधारण शंख को श्रीकृष्ण को पाञ्चजन्य शंख के समान समझकर उसकी पूजा करने से सभी मनोवांछित फल प्राप्त हो जाते हैं । इस महीने में भगवान गणेश की पूजा का भी महत्व बताया गया है ।
0 टिप्पणियाँ