वैज्ञानिकों ने पृथ्वी के केंद्र के पास बड़े पैमाने पर महासागर की खोज की है


 वैज्ञानिकों ने यह पाया है कि हमारी धरती के अंदर एक बहोत बड़ा महासागर है, यह महासागर इतना बड़ा है की हमारी धरती पर जो पानी का आयत है उसका तीन गुना पानी इसके अन्दर है। उन्होंने यह बताया है कि यह समुद्र 600-700 मीटर बाद चालू होता है। 

अध्ययन ने यह भी पुष्टि की कि यह पहले केवल एक सिद्धांत था, अर्थात् महासागर का पानी स्लैब के साथ होता है और इस प्रकार संक्रमण क्षेत्र में प्रवेश करता है। पृथ्वी के मेंटल हिस्से को हम संक्रमण क्षेत्र कहते है। पानी पृथ्वी के ऊपरी और निचले मेंटल के संक्रमण क्षेत्र के बीच पाया गया है। इसका पता करने के लिए शोध दल ने रमन स्पेक्ट्रोस्कोपी से विश्लेषण किया।

इसका मतलब है कि हमारे ग्रह के जल चक्र में पृथ्वी का आंतरिक भाग भी शामिल है।

वैज्ञानिकों ने अपने शोध में Antarctica के द्वीपो से नमूनों का डेटा इकठ्ठा करके इस निष्कर्ष तक पहुंचे हैं। 

वैज्ञानिकों ने पाया की इन क्षेत्रों में पृथ्वी के मेंटल से सतह की और ज्वालामुखी लावा का निष्कर्षण होता रहता है। इन महाद्वीपो के नमूनों में हीलियम-3 जैसे बिग बैंग के दौरान के आइसोटोप विद्यमान हैं। 

ऐसा अनुमान है कि यह महासागर हमारे ग्रह का पुराना रूप हो सकता है और हो सकता है कि यह planet - rocking से बच गया हो, जिससे कि चंद्रमा का निर्माण हुआ है। 


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