नरक का दरवाजा कहा है और क्या है पूरी कहानी

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तुर्कमेनिस्तान पूर्व में सोवियत संघ का हिस्सा था। इसके उत्तर में एक बड़ा सा गड्ढा है। जिसे गेट्स ऑफ हैल के नाम से जाना जाता है। इस गड्ढे.में चालीस वर्षो से आग जल रहीं हैं।

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यह गड्ढा तुर्कमेनिस्तान के गर्म और विशाल रेगिस्तान कराकुम में है। काराकोरम रेगिस्तान में २३० फीट चौड़ा एक छेद है जो ५० वर्षों से अधिक समय से आग लगा रहा है।  हालांकि तकनीकी रूप से दरवाजा गैस क्रेटर कहा जाता है, स्थानीय लोग क्रेटर को "द गेट्स ऑफ हेल" के रूप में जानते हैं।  इसकी तेज चमक मीलों दूर तक देखी जा सकती है।

यह गड्ढा कई दशकों से आग उगल रहा है। इसके पीछे का कारण इससे निकलने वाली मिथेन गैस है।


आखिर यह आग जल कब से रहीं है?

इसके पीछे एक बहोत ही प्रचलित कहानी है जिसे वैज्ञानिक भी सही ठहराते है। सत्तर के दशक में यहा प्राकृतिक गैस के भण्डार का पता लगा था। उस समय सोवियत संघ दूसरे विश्व युद्ध के कारण आर्थिक कमजोरी से जुझ रहा था। इस कमी को दूर करने के लिए गैस के भण्डार से मदद मिल सकती थी। जिसके मुताबिक 1971 मे सोवियत संघ के भूवैज्ञानिक इस रेगिस्तान में कच्चे तेल की खोज कर रहे थे। वैज्ञानिकों को एक जगह पर प्राकृतिक गैस का भंडार मिला। जब यहां ख़ुदाई चल रही थी तो अचानक जमीन नीचे धंस गयी। जिसके कारण वहां तीन बड़े बड़े गड्ढे. बन गए। उस समय सोवियत संघ जो कुछ भी करता था वो चीजे गुप्त रखी जाती थी। कहा जाता है कि वैज्ञानिकों को इस गड्ढे से निकलने वाली मीथेन गैस को वायुमंडल में घुलने का डर था। इसलिए उन्होंने इसमे आग लगा दी जिससे कि कुछ ही हफ्तों मे मीथेन खत्म हो जाए और आग बुझ जाए। लेकिन मीथेन गैस उनके अनुमान से कहीं ज्यादा थी जो आज भी जल रही है। अगर वो यह नही करते तो मीथेन गैस हमारे वायुमंडल में मिलकर बहोत बडी तबाही लाती। जानकार मानते है कि उस समय सोवियत संघ के पास प्राकृतिक गैस या ईधन की कोई कमी नही थी। वे हर साल लाखो क्यूबिक मीटर प्राकृतिक गैस का उत्पादन करते थे। एसे मे गैस जला देना उनके लिए व्यावहारिक विकल्प रहा होगा। 


क्या कभी इस आग को किसी ने बुझाने की कोशिश की थी?

तुर्कमेनिस्तान की सरकार ने एक बार सोचा था कि वो लगातार जल रही इस आग को बुझा दे। लेकिन फिर उन्होंने सोचा कि ये पर्यटन को बढ़ावा देने का अच्छा रास्ता हो सकता है। मीथेन उगलने वाला यह गड्ढा अब इस देश का सबसे ज्यादा कमाई वाला पर्यटन स्थल बन चुका है।

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क्या होता है जब मीथेन हवा में जलती है? 

जब मीथेन हवा में जलती है तो इसमें नीली लौ होती है।  पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन में जलने पर यह कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) और पानी (H2O) देता है। जब यह दहन से गुजरता है तो यह बड़ी मात्रा में गर्मी पैदा करता है, जो इसे ईंधन स्रोत के रूप में बहुत उपयोगी बनाता है।  मीथेन एक बहुत ही प्रभावी ग्रीनहाउस गैस है। क्योंकि यह Co2 बहोत अधिक मात्रा में छोरता है जो की हमारे वायुमंडल में ओजोन परत को नुकसान पहुंचाता है। 


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